रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस RA- Rheumatoid Arthritis RA hindi mein

रह्यूमेटॉयड गठिया एक बीमारी है जिस के कारण जोड़ों मैं दर्द, सूजन और अकड़न होती हैं। यह कई प्रकार के गठिया मैं से एक है। हम अभी तक यह पता नहीं लगा पाए है की किसी को रह्यूमेटॉयड गठिया (RA) क्यों होता है। यह आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारणों के परस्पर प्रभाव से हो सकता हैं। परन्तु यह कारण स्थायी नहीं है। मूल रूप से अगर किसी को RA हो जाये तो हम किसी एक कारण को दोष नहीं दे सकते हैं। कोई  व्यक्ति अगर RA से पीड़ित है तो वो स्वयं को जिम्मेदार न माने क्योंकि वो इससे खुद को बचा नहीं सकते थे। RA कई तरह के आर्थराइटिस मे से एक है। RA ऐसी बीमारी है जो एक बच्चे से लेकर एक बुजुर्ग तक किसी को भी हो सकती है। यह बीमारी आमतौर पर मध्यम वय के व्यक्तियों को प्रभावित करती है। यह पुरषों की अपेक्षा महिलाओं पर ३ गुना ज्यादा असर करती हैं।
रह्यूमेटॉयड गठिया (RA) आम जनता मैं पाया जाने वाला सबसे सामान्य गठिया/वात रोग है। २००-३०० लोगों मैं से कम से कम एक को RA है। हमें नहीं पता की ये RA किसी किसी में ही क्यों विकसित होता है? यह आनुवंशिक और अन्य बाहरी कारणों जैसे धूम्रपान के योग से हो सकता है। RA का कोई स्थायी कारण नहीं है। जब हम आनुवंशिकता की बात करते हैं तो इसका अर्थ यह नहीं है कि मरीज के परिवार में से किसी को RA होना ही चाहिए। जीन बहुत ही जटिल होते हैं और जन्म के समय सभी में बहुत सारे नए जीन पाए जाते हैं। किसी को अगर RA हो जाए तो वह स्वयं को दोषी ना माने क्योंकि वह कुछ नहीं कर सकते थे इसे रोकने के लिए।
आर्थराइटिस  बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करे:  आर्थराइटिस / संधिवात / गठिया रोग क्या होता है और रह्युमटोलॉजिस्ट (rheumatologist) डॉक्टर किसे कहते हैं ?
घुटनों का आर्थराइटिस जो की बढ़ती उम्र के कारण जोड़ों के विकृत होने से होता है जिसे हम ओस्टियोआर्थराइटिस के नाम से जानते हैं पूरी तरह से अलग है रह्यूएमेटॉयड आर्थराइटिस से। ओस्टियोआर्थराइटिस ज्यादातर बढ़ती उम्र के कारण होता है। रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। हम अभी भी ओस्टियोआर्थराइटिस के लिए उपचार की तलाश में हैं और कई बार मरीजों को जोड़ो और कमर के गंभीर ओस्टियोआर्थराइटिस के हालात में सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है। RA अलग है। RA में जोड़ों में सूजन, दर्द होता है शरीर में किसी एक्टिव प्रोसेस के कारण। RA के लिए आक्रमक मेडिकल इलाज की जरूरत होती है दर्द, सूजन और घुटनों को होने वाली क्षति को नियंत्रण में करने के लिए।
आर्थराइटिस 100 से भी अधिक तरह का हो सकता है। उनमें सबसे सामान्य है रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस (RA) और ओस्टियोआर्थराइटिस (OA)। रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस (RA) ओस्टियोआर्थराइटिस (OA) से अलग है। ओस्टियोआर्थराइटिस से अलग RA जोड़ों में सूजन दर्द और अकड़न पैदा करता है और कई बार शरीर के दूसरे अंगों पर भी असर करता है। RA का इलाज अधिकतर दवाइयों से होता है जो कि इस सूजन और दर्द को दबाने में मदद करती हैं।
अधिक जानकारी के लिए निम्नलिखित आर्टिकल आप पढ़ सकते हैं
RA एक स्वप्रतिरक्षित बीमारी (autoimmune disease) है। स्वप्रतिरक्षित वह बीमारियां होती है जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति (immune system) अपने आप ही शरीर के खिलाफ कार्य करना प्रारंभ कर देती है। सामान्य रूप से हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति हमारे शरीर को खतरों से बचाती है। परंतु किन्ही अस्पष्ट कारणों की वजह से हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति अपने आप ही सक्रिय हो जाती है और हमारे खुद के ही शरीर को नुकसान पहुंचाने लगती है और किसी वजह से यह प्रतिरोधक शक्ति जोड़ों पर हमला करती हैं। यही वजह है कि स्वप्रतिरक्षित बीमारी के मरीजों को आर्थराइटिस होता है। परंतु यह कोई नियम नहीं कि वह जोड़ों को ही नुकसान पहुंचाए वह शरीर के दूसरे हिस्सों पर भी असर कर सकती हैं। सवाल यह है कि यह कुछ ही लोगों में क्यों होती है और क्यों यह अलग-अलग लोगों में अलग-अलग तरह की बीमारियां पैदा करती है? यह अभी तक हमें पता नहीं चल पाया हैं। पर हमारे पास अब ऐसे इलाज है जो इस अति सक्रिय रोग प्रति रोधक शक्ति और ऐसी बीमारियों को नियंत्रण में ला सके।  
 कल्पना कीजिए कि हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति बहुत सारे पारिवारिक सदस्यों से बनी हुई है जो सामान्य रूप से परिवार की रक्षा करते हैं। कभी-कभार कुछ अस्पष्ट कारणों की वजह से इस परिवार का एक सदस्य या एक हिस्सा अति सक्रिय होकर परिवार के खिलाफ चला जाता है। और वो अपने परिवार को नुकसान पहुंचाने लगता है। स्वप्रतिरक्षित रोगों में रोग प्रतिरोधक शक्ति का एक हिस्सा अपने आप अति सक्रिय होकर जोड़ों सहित शरीर के अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाने लगता है। RA स्वप्रतिरक्षित रोग है। यहां पर रोग प्रतिरोधक शक्ति कम नहीं हो जाती बल्कि इसका एक हिस्सा अति सक्रिय हो जाता है।
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  • शरीर के दाएं बाएँ दोनों हिस्सों में कमर और घुटनों के जोड़ों के अलावा हाथ और पैरों के छोटे-छोटे जोड़ों में भी दर्द और सूजन होना।
  • कभी कभी रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस शरीर के १ जोड़ में दर्दनाक हमले करता है जो कुछ दिनों में ठीक हो जाता है। धीरे-धीरे यह हमले बढ़ते जाते हैं और पूर्ण विकसित रह्यूएमेटॉयड आर्थराइटिस बन जाता हैं। इसे हम विलोमपद या उल्टा RA कहते है।
  • सुबह शरीर में तीव्र अकड़न होना जो कि हलन चलन के साथ धीरे-धीरे कम हो जाती है।
  • तबीयत ठीक ना लगना, बुखार जैसा लगना, हर वक्त थकान रहना।
  • अधिकतर RA के मरीज को कुछ जोड़ों में दर्द और सूजन के साथ अकड़न महसूस होती है। धीरे-धीरे सूजन और दर्द शरीर के दूसरे जोड़ों में भी पहुंच जाती है और अकड़न बहुत ही ज्यादा तीव्र हो जाती है। कई बार मरीज बिस्तर से उठ भी नहीं पाते। गंभीर रूप से RA से प्रभावित मरीज हर वक्त थका हुआ और बीमार महसूस करता है। कई केसस में तो उनकी भूख भी कम हो जाती है।

बढ़ती उम्र के कारण होने वाले आर्थराइटिस में थोड़ी बहुत अकड़न और सूजन रहती है पर RA में होने वाली अकड़न और सूजन बहुत ही ज्यादा तीव्र होती है।

यह आप नहीं बता सकते। केवल एक प्रशिक्षित रह्यूमेटोलॉजिस्ट (RHEUMATOLOGIST) डॉक्टर ही निरीक्षण और खून की जांच के बाद ही बता सकता है। पर कुछ ऐसे लक्षण है जिनका आप ध्यान रख सकते हैं। जैसे कि RA सामान्य तौर पर उंगलियों के छोटे जोड़ों, पैरों के तलवे और कलाई को प्रभावित करके शुरू होता है। यह आमतौर पर एक ही समय में बाएं और दाएं दोनों तरफ को प्रभावित करता है।(अन्य प्रकार की गठिया पहले बड़े जोड़ों को प्रभावित करती हैं, जैसे घुटनों या कूल्हों। और वे दोनों में से एक तरफ को ज्यादा प्रभावित कर सकते हैं)|

RA की जांच किसी एक पक्ष को ध्यान में रखकर नहीं की जाती। मरीज की उम्र, आर्थराइटिस का पैटर्न, खून की जांच के साथ ही RA Factor (फैक्टर), Anti-ccp टेस्ट, x-ray और जोड़ों की अल्ट्रासोनोग्राफी इन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए RA का निदान किया जाता है। यह सब एक प्रशिक्षित रह्यूमेटोलॉजिस्ट डॉक्टर के द्वारा किया जाता है। पर ध्यान रखिए कि सिर्फ पॉजिटिव खून की जांच से यह साबित नहीं होता कि किसी को RA है। RA Factor (फैक्टर) और दूसरी ब्लड रिपोर्ट सामान्य व्यक्ति में भी पॉजिटिव आ सकती है। करीबन 20% RA मरीज की RA Factor (फैक्टर) और Anti-ccp रिपोर्ट नेगेटिव आती है। आर्थराइटिस 100 से भी अधिक तरह का होता है। कभी कभी एक तरह का आर्थराइटिस किसी दूसरे प्रकार के आर्थराइटिस की पॉजिटिव रिपोर्ट दे सकता है और इन दोनों का इलाज एकदम ही अलग होता है। यही कारण है की रह्यूमेटोलॉजिस्ट एक विशेष क्षेत्र है और यह जरुरी है की आप एक प्रशिक्षित रह्यूमेटोलॉजिस्ट को ही दिखाएं RA की जाँच और इलाज के लिए।

रह्यूमेटोलॉजिस्ट डॉक्टर गठिया रोगों के स्पेशलिस्ट होते हैं | वे दवाइओं द्वारा गठिया रोगों का इलाज करते हैं|  सिर्फ एक रह्यूमेटोलॉजिस्ट डॉक्टर  ही पक्के तौर पर यह कह सकता है कि आपको RA है। वह बहुत सारे भाग पक्ष और रिपोर्ट देखने के बाद ही यह निर्णय लेंगे। पॉजिटिव RA फैक्टर बहुत सारे सामान्य लोगों में भी पाया जा सकता है। जिन्हें RA हैं उनका RA फैक्टर नेगेटिव भी आ सकता है।

हालांकि यह उंगलियों और पैर की उंगलियों में शुरू होता है, RA किसी भी जोड़ को प्रभावित कर सकता है। अगर इस गठिया रोग का समय से इलाज नहीं किया जाए तो यह जोड़ों को परमानेंट नुकसान पंहुचा सकता है। इसका मतलब है की जोड़ पूरी तरह से ख़राब हो सकते है। जोड़ों में डैमेज होने के बाद उनको दवाइओं से ठीक नहीं किया जा सकता । कुछ जोड़ों को ख़राब होने पर सिर्फ बदला जा सकता है – जैसे की कूल्हे या घुटने। लेकिन हाथ और पैरों की उँगलियों के जोड़ खराब होकर टेढ़े मेढ़े हो सकते हैं, उनको बदला नहीं जा सकता। इसके अलावा गठिया शरीर के अन्य अंगों को भी नुकसान पहुँचा सकता है जैसे कि दिल, फेफड़े या आंखें। रह्युमटोलॉजिस्ट डॉक्टर के लिए यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि किस पेशेंट में कौन से लक्षण आएंगे या लक्षण कितने खराब होंगे। कुछ ऐसे टेस्ट है जिनसे यह पता चल सके की आपका RA कितना तीव्र है। अगर मरीज का RA फैक्टर या Anti – ccp स्तर बहुत ही ऊँचा है (५-१० गुना ज्यादा) तो मुमकिन है की उस मरीज का RA बहुत ही तीव्र होगा।

भले ही यह उंगलियों और पैर की उंगलियों में शुरू होता है, RA किसी भी जोड़ को प्रभावित कर सकता है। अगर शुरुवात मैं ही इसे नियंत्रित न किया जाये तो यह जोड़ों को हमेशा के लिए नुकसान पहुँचा सकता है। साथ ही RA की वजह से शरीर के अन्य अंगों को भी क्षति हो सकती है। RA के मरीजों के लिए दिल के दौरे का खतरा भी बढ़ जाता है।

यदि आपके डॉक्टर बताते हैं कि आपको रुमेटीय गठिया (RA) है, तो तुरंत उपचार शुरू करें। उपचार सही स्पेशलिस्ट से ही करवाए। जितना जल्दी आप रह्युमटोलॉजिस्ट डॉक्टर की सलाह से सही उपचार लेंगे उतनी जल्दी बीमारी नियंत्रण में आएगी। अगर आप जल्द इलाज शुरू कर देते हैं, तो आजकल के उपचारों से जोड़ों या इस बीमारी से शरीर के दूसरे अंगो को होनेवाले नुकसान से बचाया जा सकता है। आपके लक्षण खराब हो जाए तब तक प्रतीक्षा न करें। जल्द से जल्द इलाज करने का एक फायदा यह भी है की इससे RA के पूर्णतया नियंत्रण मैं आने की सम्भावना बढ़ जाती है। और यही वजह है की किसी को भी अप्रमाणित प्राकृतिक उपचारों से इसका इलाज नहीं कारवाना चाहिए जिससे बहुत ही कीमती वक़्त बर्बाद हो जाता है। जितना मरीज सही इलाज में देरी करेगा उतनी अधिक सम्भावना है जोड़ों को स्थायी नुकसान होगा और उन्हें बदलने की जरुरत होगी, साथ ही दूसरे अंगों को भी नुकसान होगा। और तो और उपचार में देरी से बीमारी ऐसे चरण पर पहुंच सकती है जहाँ से RA कभी भी पूरी तरह से नियंत्रित नहीं हो सकती और दवाइयों के भारी खुराक की जरुरत पड़ती है।

याद रखिये हड्डी के डॉक्टर, जिन्हे आम भाषा में ऑर्थोपेडिक्स कहा जाता है , वे सर्जन होते हैं और RA का इलाज अमूमन दवाइयों से किया जाता है| ऑर्थोपेडिक्स, इस बिमारी में जब जोड़ खराब हो जाते हैं तो, उन जोड़ों बदलने को का काम करते हैं| वैसे हर जोड़ को बदला नहीं जा सकता| अगर RA का सही इलाज हो तो जोड़ ख़राब होने की सम्भावना बहुत कम हो जाती है | इस बिमारी का इलाज करने वाले सहीं स्पेशलिस्ट रह्युमटोलॉजिस्ट होते हैं| रह्युमटोलॉजिस्ट इस तरह के गठिया रोगों में दवाइओं से इलाज करके जोड़ो और दूसरे अंगो को नुक़सान पहुंचाने से बचाते है |

रुमेटी संधिशोथ के लिए दर्जनों दवाइयाँ हैं। आपके लिए सही कोनसी है यह इस पर निर्भर करता है की:
  • आपके लक्षण कितने बुरे हैं?
  • आपकी बीमारी किस चरण पर है?
  • आपके कोनसे और कितने जोड़ प्रभावित हुए है?
  • समय के साथ आपकी बीमारी कैसे बदल रही है?
  • आप जो दवाइयों आजमा रहे है, उनके कोई दुष्प्रभाव महसूस करते है या नहीं? अगर हाँ तो कोनसे?
  • आपके एक्स-रे और खून की जाँच मैं क्या आता है?
  • क्या आप गर्भ धारण करना चाहती है?
  • कई बार इलाज इस पर भी निर्भर करता है की आप आर्थिक तौर पर कितने समर्थ है – यह खासकर भारत जैसे देश में जहाँ अधिकतर बीमा पॉलिसी RA के इलाज में मदद नहीं करती?
सामान्य तौर पर उपचार के विकल्प में शामिल हैं:
  • “नॉनस्टेरॉइडल एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग्स” नामक दवाइयां, जिन्हें एनएसएआईडीएस (NSAIDs) के रूप में भी जाना जाता है। इन्हे सामान्य भाषा में दर्द निवारक भी कहा जाता है। (देखें “रोगी शिक्षा: नोस्टेरॉयड एंटिनफ्लमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडीएस) (द बेसिक्स)”) ये दर्द के साथ साथ सूजन भी काम करती है। यह निरंतर नहीं बल्कि रुक रुक कर दी जाती है।
  • दवाइयां जो की स्टेरॉयड कहलाती हैं। अमूमन लोग स्टेरॉयड से डरते है क्योंकि उनका मानना है की स्टेरॉयडस के सिर्फ दुष्प्रभाव ही होता है। परन्तु स्टेरॉयडस की अगर एकदम कम खुराक डॉक्टर की देखरेख में दी जाए तो वो RA के मरीजों के लिए बहुत मददगार साबित होते हैं। (देखें “रोगी शिक्षा: स्टेरॉयड दवाएं (मूल बातें)”)
  • दवाइयां जिन्हे “बीमारियों को संशोधित करने वाली एंटी रह्यूएमटीक ड्रग्स” कहा जाता है। इन्हे “डीएमआरडीएड्स(DMARDs)” भी कहा जाता है (देखें “रोगी शिक्षा: रोग को संशोधित एंटी रह्यूएमटीक ड्रग्स (डीएमआरडीएड्स) (द बेसिक्स)”)। यह दवाइयां शरीर के स्व सक्रिय रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति को नियंत्रित करता है जिससे यह बीमारी शरीर को क्षति न पंहुचा सके। (“रोगी शिक्षा: ओपिओइड दर्द दवाएं (मूल बातें)” देखें।)
  • जीवविज्ञानिक DMARDs – पिछले २० सालों में, रह्यूमेटोलॉजी के क्षेत्र में कई बदलाव आये है। पहले हमारे पास RA के इलाज के लिए बहुत ही सिमित दवाइयां उपलब्ध थी। जीवविज्ञानिक दवाइयां बहुत ही व्यापक और अभूतपूर्व खोज के बाद विकसित हुई है। यह दवाइयां कुछ खास अणुओं पर असर करती हैं और RA को नियंत्रित करने में गजब नतीजा दिखाती हैं। इन दवाइयों ने अधिकतर RA मरीजों का जीवन ही बदल दिया।

RA इंसानों में पायी जाने वाली एक बहुत ही जटिल बीमारी है। और यह ज्यादातर जीवन भर के लिए होती है। सही समय पर प्रमाणित दवाइयों के साथ किए जाने वाले इलाज से हम RA को नियंत्रण में कर सकते हैं और अच्छी तरह अपना जीवन जी सकते हैं। पिछले 20 सालों में एलोपैथी में हुए अनुसंधानों से यह समझा गया है कि RA क्यों होता है। और ऐसी दवाइयों का इजाद किया गया है जो कुछ खास अणुओं पर असर करती है। आयुर्वेद और होम्योपैथी में ऐसी कोई खास अनुसंधान नहीं हुए हैं। उपलब्ध एलोपैथी इलाज से RA को अधिकतर केसेस में  80 से 90% नियंत्रित किया जा सकता है। कुछ मरीजों के केस में तो RA पूरी तरह से नियंत्रण में आ जाता है जिसे हम रिमिशन कहते हैं। ऐसा कोई आयुर्वेदिक या होम्योपैथिक इलाज नहीं है जो यह कर सकता हो। RA की एलोपैथिक दवाइयां सुरक्षित हैं और बहुत अच्छे से काम करती है। किसी भी RA मरीज की बहुत नजदीक से जांच की जाती है और अगर किसी दवाई का दुष्प्रभाव हो तो उसे तुरंत बदल दिया जाता है। अगर कोई RA का मरीज बराबर इलाज नहीं कराता तो उसे जीवन भर की क्षति हो सकती है।जोड़ों को बदलने की भी जरूरत पड़ सकती है। ज्यादा दवाइयाँ लेनी पड़ सकती है। शुरू से सही इलाज करने पर RA जिस हद तक नियंत्रित हो सकता था, मुमकिन है वो गलत या देरी से इलाज होने के कारण नहीं हो पाए।  मरीज ऐसी कोई दवा ना ले जो की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाते हैं RA और प्रतिरक्षी बीमारियों में रोग प्रतिरोधक शक्ति कम नहीं हो जाती बल्कि अधिक सक्रिय हो जाती है।

RA बहुत ही जटिल और उम्र भर की बीमारी है जो कि जोड़ों और शरीर के दूसरे अंगों को नुकसान पहुंचाती है। एलोपैथी में अब ऐसी दवाइयां बनी है जो RA का विधिपूर्वक इलाज करती है। ऐसा कोई इलाज RA  के लिए आयुर्वेद और होम्योपैथी में मौजूद नहीं है। बेहतरीन नतीजों के लिया RA का सही इलाज जल्द से जल्द शुरू कर देना चाहिए। सही इलाज में देरी करने से जोड़ों को ज्यादा नुकसान पहुंचेगा, उन्हें बदलने की जरूरत पड़ेगी, ज्यादा दवाइयाँ लेनी पड़ेगी और ज्यादा दर्द सहन करना पड़ेगा।  ज्यादा देर करने से बीमारी पर वो  नियंत्रण कभी नहीं मिल पायेगा जो कि शुरुआत में ही सही इलाज करने पर मिल सकता था।

RA का कोई इलाज है ही नहीं। इस सूचना से आप निराश ना हो। RA का इलाज अब बहुत बदल गया है। अधिकतर RA के मरीज मौजूदा इलाज के साथ बहुत ही स्वस्थ और खुशहाल जिंदगी जी सकते हैं। RA फैक्टर को नेगेटिव करके RA को पूरी तरह ठीक करने के इंटरनेट पर आने वाले अधिकतर दावे झूठे हैं। कई बार बीमारी अपना असर दिखाना छोड़ देती है और फिर वापस आ जाती है। इसका मतलब यह नहीं कि वह ठीक हो गई। ऐसे व्यक्ति से इलाज करवाने से बचे जो यह कहता हो कि वह इस बीमारी को पूर्ण रूप से ठीक कर सकता है।

RA अधिकतर उम्र भर की बीमारी है, पर अब इसका एलोपैथी में बहुत अच्छा इलाज उपलब्ध है। RA को पूरी तरह से ठीक करने के अधिकतर दावे झूठे हैं। RA बहुत ही कम मरीजों में पूरी तरह से ठीक हो सकता है और इस बात की कोई गारंटी नहीं है। भस्म और सोने के चूर्ण वाली आयुर्वेदिक दवाइयों से  लीवर, तंत्रिका और किडनी को स्थायी तौर पर नुकसान पहुंच सकता है। बहुत सारी आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाइयाँ भारत में बिना किसी लेबल के मिलती है इस लिए यह जानने का कोई जरिया नहीं है कि उनमें क्या है।

RA का खानपान से कोई संबंध नहीं है। और कोई चीज ऐसी नहीं है जिसे खाने से RA होता हो। अगर दाल और खटाई खाने से आर्थराइटिस होता है तो सभी भारतीयों को आर्थराइटिस होता। RA के रोगी को अपने खानपान में कोई खास तरह का नियंत्रण करने की जरूरत नहीं है उन्हें सिर्फ इस बात का ख्याल रखना है की वो जो भी खाये वो स्वास्थ्यवर्धक हो। यूरिक एसिड RA के मरीजों में बढ़ जाता है पर इसका RA में होने वाली सूजन या दर्द से कोई संबंध नहीं है। सही दालें, खटाई(जिसने विटामिन सी होता है), दूध-दही यह सब स्वास्थ्यवर्धक भोजन हैं और अगर मरीज को यह पसंद है तो इन्हें बंद करने की कोई जरूरत नहीं है।

हाँ। अपने रह्युमटोलॉजिस्ट की हर सलाह माने। अपने रह्युमटोलॉजिस्ट से सही सवाल करे और अपने इलाज का हिस्सा बने। RA के बारे मैं पढ़े और जानकारी ले।

यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप सक्रिय रहें। कई बार मरीज अपने रोजमर्रा के काम भी छोड़ देते हैं क्योंकि वो दर्द में हैं लेकिन इससे हालत बदतर हो सकते हैं। यह आपकी मांसपेशियों को कमजोर कर देगा और आपके जोड़ों की तुलना में वे पहले से ही कर्कश हैं। फिजियोथेरेपिस्ट आपको यह पता लगाने में सहायता कर सकता है कि कौन से व्यायाम आपको RA में फायदेमंद रहेंगे। एक व्यावसायिक चिकित्सक आपको यह सलाह दे सकता है कि गठिया होने के बावज़ूद आप किस तरह रोजमर्रा के कार्य सुचारु रूप से कर सकते हैं।

धूम्रपान छोड़ दे क्योंकि यह बीमारी की तीव्रता और RA के मरीजों में दिल के दौरे का खतरा भी बढ़ता है।

एक और चीज जो आप स्वयं कर सकते हैं वो है स्वास्थ्य वर्धक भोजन करे। RA वाले मरीजों को  ह्रदय रोग का खतरा अधिक होता है, इसलिए उन्हें वसायुक्त खाद्य पदार्थों से परहेज़ करना चाहिए। इनके बजाय उन्हें बहुत सारे फल और सब्जियाँ खानी चाहिए। 

अपनी दवाइयों की खुराक बराबर जाँचे, किसी भी प्रकार के संक्रमण की जानकारी अपने डॉक्टर को दे।

जी हाँ, यह पूरी तरह से सुरक्षित और मुमकिन है। RA के मरीज चाहे वो मर्द हो या औरत सामान्य रूप से बच्चे पैदा करने के बारे में सोच सकते है और RA या उसके इलाज से होने वाले बच्चे को कोई खतरा नहीं है। आज के वैज्ञानिक युग में RA के अधिकतर युवा मरीजों को स्वस्थ बच्चे के साथ सामान्य प्रेगनेंसी होती है। पुरुष RA के मरीज तो अपना नियमित उपचार सामान्य रूप से चालू रख सकते हैं। उससे उनके साथी को गर्भ धारण करने में या होने वाले बच्चे को कोई तकलीफ नहीं होगी। हाँ, लेकिन अगर एक महिला RA मरीज गर्भ धारण करने के बारे में सोच रही है तो बहुत ही जरुरी है की वो जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से इस विषय पर बातचीत कर ले। RA के इलाज में  इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाइयां एक बच्चे के लिए सुरक्षित नहीं हैं, इसलिए गर्भवती होने से पहले उन दवाइयों को बदलना या बंद करना पड़ेगा। इसलिए अपने रह्युमटोलॉजिस्ट को पहले ही बता दे ताकि वह आपको सही सलाह दे सके और आपकी दवाइयां को आपके अनुकूल बदल सके। बेहतर होगा की आप प्रेगनेंसी की योजना तब बनाये जब आपकी बीमारी नियंत्रण में हो और आपका रह्युमटोलॉजिस्ट आपको सहमति दे। गर्भावस्था के दौरान RA के कारण होने वाली समस्याओं को रोकने में आपकी मदद करने के लिए कुछ चीजें हैं, अपने रह्युमटोलॉजिस्ट से राय ले। प्रेगनेंसी  के दौरान RA के लक्षण अक्सर बहुत बेहतर होते हैं लेकिन बच्चे के जन्म के बाद वे फिर से बिगड़ सकते हैं।

अधिकतर RA  के मरीज स्वस्थ और खुशहाल शादीशुदा जीवन का आनंद ले सकते है और स्वस्थ बच्चे भी पैदा कर सकते है। परन्तु अगर RA के मरीज प्रेगनेंसी के बारे में सोच रहे हैं तो सही यही होगा की वो अपने डॉक्टर को इसकी अग्रिम जानकारी दे।

रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करे:  आर्थराइटिस / संधिवात / गठिया रोग क्या होता है और रयूमेटोलोजिस्ट (rheumatologist) डॉक्टर किसे कहते हैं ?

लेखक: डॉ नीलेश नौलखा एक गठिया रोग विशेषज्ञ (रह्यूएमटोलॉजिस्ट) है। वो मेडिसिन में एमडी (MD, KEM हॉस्पिटल ), रह्यूएमटोलॉजि में डीएम (DM) है। उन्होंने रह्यूएमटोलॉजि में फेलोशिप UK (इंग्लैंड) से की है। वह मुंबई के एकमात्र रह्युमटोलॉजिस्ट है जिनके पास DM की डिग्री हैं । DM रह्युमटोलॉजी भारत में गठिया रोग के विशेषज्ञ कहलाने जाने के लिए सर्वोत्तम डिग्री है ।उनके जीवन का लक्ष्य लोगों की सेवा करना और उन तक सही मेडिकल जानकारी पहुँचाना है। उनके मरीजों का हित ही उनके लिए सर्वोपरि है। वह मुंबई के वॉकहार्ट हॉस्पिटल में प्रैक्टिस करते हैं। आप अगर उनसे संपर्क करना चाहते है तो इन लिंक्स पर क्लिक कीजिये : Linkedin: https://www.linkedin.com/in/drnileshnolkharheumatologist/ Twitter profile/handle:

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अनुवादक: हिंदी में अनुवाद श्रीमती नूतन लोढ़ा ने किया है।

अस्वीकरण: कई बार इंटरनेट पर आने वाले लेख किसी प्रमाणित मेडिकल लेखक या डॉक्टर के द्वारा नहीं लिखा जाता है। उन पर आंख मूंदकर भरोसा ना करें। हालांकि यह लेख प्रमाणित गठिया रोग विशेषज्ञ (रह्यूमेटोलॉजिस्ट) द्वारा लिखा गया है ना की किसी ब्लॉगर के द्वारा। यहाँ दी गई जानकारी सही है और प्रामाणिक तथ्यों पर आधारित है।

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